लेखनी कविता -वहम - बालस्वरूप राही
वहम / बालस्वरूप राही
चले पाठशाला पप्पू जी,
काट गई बिल्ली रस्ता,
पप्पू जी ने घर में लाकर
पटक दिया अपना बस्ता।
पापा ने डाँटा, मम्मी ने-
बड़े प्यार से समझाया,
घबराहट में पप्पू जी को
कुछ भी समझ नहीं आया।
दीदी बोली- ‘पप्पू भैया ,
वहम किसलिए करते हो,
होकर बब्बर शेर जरा-सी
पुसी से क्यों डरते हो?’
जोश आ गया पप्पू जी को,
निकल पड़े घर से बाहर,
चले लेफ्ट-राइट -सी करते
जैसे कोई नर-नाहर !